क्या आपको रात में नींद नहीं आती (Insomnia) है? क्या आपकी नींद भी बार बार टूट जाती है और फिर सोने में दिक्कत पेश आती है? अगर ऐसा है तो ये एक बड़ी समस्या है क्योंकि नींद पूरी ना होने पर शरीर और दिमाग थका हुआ महसूस करेंगे जिसकी वजह से आपको एंजाइटी (Anxiety) हो सकती है और अन्य परेशानियाँ भी शामिल हैं।
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नींद को मालिक ने आपको बक्शा है ताकि आप अपने शरीर को आराम दे सकें और खुद को हकीकत से ख्यालों की दुनिया में ले जाकर रिलैक्स कर सकें। इस स्थिति में आप कोई काम नहीं कर रहे होते हैं। इसकी वजह से शरीर एकदम आराम कर रहा होता है और अगर फिर भी आपको अनिद्रा की समस्या है तो आपको ये योगासन करने चाहिए।
अनिद्रा को दूर करेंगे ये 5 योगासन (5 Yogasans to cure insomnia)
पश्चिमोत्तासन (Paschimottanasana)
इसको अंग्रेजी में सीटेड फॉरवर्ड बेंड कहा जाता है। इस आसन के दौरान आपको अपने पैरों को अपने सामने जोड़कर रखना है जबकि पंजे अंदर की तरफ हों। अब साँस भरें और हाथों को सर के ऊपर ले जाएं। इसके बाद हाथों को आगे लाएं और साँस बाहर छोड़ें। अब पंजों के अंगूठे को पकडे और कुहनियों को जमीन पर लगा दें जबकि आपका सर पैरों के ऊपर होना चाहिए। अगर आप चाहें तो हाथों को पैरों के चारों तरफ लगा दें।
विपरीतकरणी (Viparita Karani)
इसको करने के लिए आप को कोई खास मेहनत नहीं करनी है। आप अपने पैरों को जमीन के ऊपर ले जाएं और दीवार पर टिका दें। इसके बाद आप हाथों को दोनों तरफ रखें और उन्हें फैला लें। साँस अंदर खीचें और अब आप अपने कूल्हों को दीवार के एकदम करीब ले जाएं। इस स्थिति में जाने के लिए आपको ये ध्यान रखना है कि एक गलती काफी बड़ी परेशानियों को जन्म दे सकती है।
सुप्त बद्ध कोणासन (Supta Baddha Konasana)
सुप्त बद्ध कोणासन का नाम बोलने में मुश्किल लग सकता है लेकिन इसे करना और इसके कारण होने वाले फायदों को जानकर आप इसके मुरीद हो जाएंगे। इस आसन के दौरान आपको अपने पंजों को एक सीधी रेखा में ले आना है और हाथों को फैला लेना है। इस स्थिति में पेल्विक एरिया के साथ आप एक त्रिकोण बना रहे हों। ऐसी स्थिति में खुद को 15 से 20 सेकेंड्स तक रखें। अगर आप त्रिकोण नहीं बना पा रहे हैं तो एक चतुर्भुज वाली स्थिति में खुद को ले आएं।
उत्थान पृष्ठासन (Utthan Pristhasana)
इसको अंग्रेजी में लिजर्ड पोज कहते हैं। इस मुद्रा को करने के लिए आपको पहले तो अपने दोनों हाथों को आगे ले आना है और पेट के पल प्लैंक वाली स्थिति में खुद को ले आना है। इसके बाद अपने एक पैर को आगे वाले हाथ की तरफ ले जाएं और फिर उस स्थिति में खुद को कुछ सेकेंड्स के लिए रखें। इसके बाद पैर बदल दें। आप दाएं पैर को दाएं हाथ की तरफ ले आएं और इस दौरान अपने हाथों को जमीन पर रखते हुए सर को अंदर की तरफ ले जाएं। इससे रीढ़ की हड्डी और पेट को लाभ मिलता है।
अर्ध मत्स्येन्द्रासन (Ardha Matsyendrasana)
अपने पैरों को एक दूसरे के ऊपर रखें जिसमें बायां पैर ऊपर होना चाहिए। इसके बाद आप अपने बाएं पैर के घुटने को अंदर की तरफ खीचें और दाहिने हाथ को ऊपर खीचें। इसके बाद दाहिने हाथ को बाएं कूल्हे के पास ले आएं और बाएं हाथ को पीछे खीचें। अब अपने सर को उस तरफ के उलट रखें जिस तरफ आपका हाथ कूल्हों पर हो। इस स्थिति में 10 से 15 सेकेंड तक रहें।
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