बाइपोलर डिसऑर्डर एक ऐसी मानसिक अवस्था है जिसमें इंसान या तो अधिक खुश या अधिक दुखी हो जाता है। ये स्थितियाँ दोनों ही भावनाओं पर लागू होती हैं और इंसान इस स्थिति में खुद को बचा नहीं पाता है। इसका अर्थ किसी बुरे परिणाम का होना नहीं है बल्कि ये इस बात को कहता है कि इंसान कई अन्य प्रकार की बातों को दिल से लगा लेता है।
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बाइपोलर डिसऑर्डर में इंसान कई बार हफ्तों एवं महीनों तक एक ही बात के कारण खुश या दुखी हो सकता है। इस स्थिति में इंसान को ऐसा लगता है कि उसके जीवन में हुए कुछ अनुभव उसके जीवन में सबसे अच्छे या बुरे हैं और वो उनके कारण किसी भी फैसले को करने से घबराता है। ऐसा देखा गया है कि 14 साल से 19 साल की उम्र के बच्चों में इसकी शुरुआत होती है जो आनेवाले समय में चलती रहती है।
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अगर कोई इंसान इस उम्र में ऐसी किसी घटना का शिकार होता है जो उसके दिल दिमाग पर एक बुरा असर ड़ाल देती है तो वो इंसान कभी भी आपको अच्छी भावना से नहीं देखेगा। ऐसा इंसान हर किसी के प्रति एक शक की भावना रखेगा और उसे सिर्फ एक मनोचिकित्स्क ही ठीक कर सकता है।
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बाइपोलर डिसऑर्डर के इलाज के लिए ये करें
बाइपोलर डिसऑर्डर को ठीक करने के लिए सबसे पहले आपको ये विश्वास लाना होगा कि आप ठीक हो सकते हैं। जब आपको खुद पर ये विश्वास आ जाता है तो आपको कोई भी ठीक कर सकता है। इसको ठीक करने के लिए अमूमन कुछ दवाइयाँ दी जाती हैं और उससे ही आराम मिलने लगता है।
यदि किसी वजह से इंसान को आराम नहीं मिलता है तो डॉक्टर थेरेपी सजेस्ट कर सकते हैं। ऐसा भी देखने में आया है कि जो लोग नींद को सही समय से और सही वक्त तक की नहीं लेते हैं उन्हें भी ये परेशानी होती है। अगर आप रोजाना मेडिटेशन और एक्सरसाइज करेंगे तो भी इस परेशानी को कम किया जा सकता है।