गरुणासन को संतुलन से जुड़ा हुआ आसन कहा जाता है क्योंकि इसको करने के बाद आप अपने शरीर को संतुलन की स्थिति में ला सकेंगे। यहाँ ये ध्यान रखना जरूरी है कि इस आसन को करने से आपके दिमाग, सोच और शरीर पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। ये बात भी जान लेना जरूरी है कि शुरुआत में ये कष्टकारी लगेगा लेकिन इसके फायदे जानकर आप इसे कभी नहीं रोकना चाहेंगे।
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इसको करने से आपकी जांघों, हिप्स, अपर बैक और कंधों में खिंचाव देखने को मिलता है। ये ध्यान को केंद्रित करने और संतुलन को बनाने में भी मदद करता है। इससे आपके पैर की मांसपेशियां एवं पिंडलियों से जुड़ी नसें मजबूत होती है। ये कई प्रकार की बीमारियों को दूर करता है जिनमें रूमेटिज्म, आमवात, आर्थराइटिस और साइटिका शामिल है।
अगर आपको टखने, घुटने या कुहनी में चोट लगी है तो इस आसन को ना करें। लो ब्लड प्रेशर के मरीज इस आसन को बिल्कुल ना करें। आप अगर किसी बीमारी से दो चार हो रहे हैं तो आपको डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही इस आसन को करना चाहिए वरना आपको परेशानी पेश आ सकती है।
गरुड़ासन कैसे करे
योगासन की मुद्रा में आएं
इसके लिए आप पहले मैट पर खड़े हो जाएं। अब अपने बाएं पैर को दाएं पैर के ऊपर लपेट दें जिसमें आपका बायां पैर पिंडलियों के निचले हिस्से को छू रहा हो। इसके साथ ही आपके दोनों पंजे एक दूसरे के ऊपर होने चाहिए। इस अवस्था में आने से आपने आसन के शुरूआती प्रभाव को कर लिया है।
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हाथों को ऊपर उठाएं
जब आप अपने हाथों को ऊपर उठाएं तो ये कुछ इस प्रकार से होने चाहिए कि कुहनी से लेकर हथेलियों तक के बीच में कंधे से नब्बे डिग्री का कोण हो। इसके बाद अपने हाथों को भी आपस में लपेट लें और अब कूल्हों को नीचे लाने का प्रयास करें। इस दौरान पैर दाएं या बाएं नहीं मुड़ने चाहिए।
मुद्रा में रहें
इस स्थिति में आप जहाँ तक खुद को नीचे ले जा सकते हैं वहाँ तक ले जाएं। इस मुद्रा में आप गहरी सांस लेते और छोड़ते रहें लेकिन इसमें एक पैर पर सिर्फ अधिकतम तीस सेकेंड तक ही अभ्यास करें। इसके बाद इसी मुद्रा को दूसरे पैर के साथ करें। इससे आपको काफी लाभ होगा।
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