पेट की बढ़ी चर्बी आपकी सेहत के लिए बेहद हानिकारक है। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि पेट की चर्बी ही शरीर को होने वाली 100 में से 96 बीमारियों का कारण है। अगर आपको ये लग रहा है कि आपके पेट की परेशानी या बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर किसी अन्य कारण से है तो आप गलत हैं।
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हर परेशानी के पीछे पेट और उसकी चर्बी ही जिम्मेदार है। ऐसे कई लोग हैं जो खुद पर ध्यान देते हैं और चर्बी को कम कर लेते हैं जबकि कई अन्य इसको कम करने की जगह इसको और बढ़ाना ही अच्छा समझते हैं। सेहत के लिए एक छोटी सी परेशानी भी बड़ी है और अगर आप ध्यान नहीं देते हैं तो ये परेशानी बढ़ सकती है।
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ऐसे में जरूरी है कि आप योगासन करें और उससे खुद की सेहत को अच्छा बनाएं। आपकी सेहत ही आपके जीवन की कुंजी है और अगर आप कोई ऐसा काम करते हैं जिससे सबको परेशानी होगी तो ये कोई अच्छा कदम नहीं है। इसलिए जरूरी है कि आप खुद का ध्यान रखें और काम पर ध्यान देने के साथ साथ सेहत पर भी ध्यान दें।
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पेट कम करने के लिए 5 योगासन
वज्रासन - वज्रासन के दौरान आप अपनी सेहत को बेहतर कर पाते हैं और साथ ही पेट की चर्बी भी कम हो जाती है। आप इसके लिए अपने घुटने के बल बैठ जाएं और रीढ़ की हड्डी को सीधी रखें। इससे आपको अपने आप में एक संतुलन का एहसास होगा और अब आगे की तरफ झुक जाएं। आपके हाथ आगे होने चाहिए और अब इस अवस्था में खुद को रखें। इससे आपको लाभ होगा।
सूर्य नमस्कार - एक आसन जो आपके शरीर के लगभग सभी अंगों पर एक साथ काम कर सकता है वो है सूर्य नमस्कार। इसको करने के लिए आप योग मैट पर सीधे खड़े हो जाएं और छाती के पास आकर नमस्कार की मुद्रा में आ जाएं। इसके बाद हाथों को पीछे ले जाएं और पीछे जाने का प्रयास करें। इससे आपको लाभ होगा। इसको करते समय आप वो सभी मुद्राएं कर सकते हैं जो आप एक्सरसाइज के दौरान करते हैं। ये आपके शरीर को पूर्ण लाभ देगा।
पर्वतासन - ये सूर्यनमस्कार का ही हिस्सा है लेकिन इसके दौरान आपको अपनी एड़ियों को उठाना है और जमीन को छूने का प्रयास करना है। ऐसा करते ही आप अपनी परेशानियों में कुछ कमी महसूस करेंगे बीएस ध्यान रहे कि कंधे सीधे रहने चाहिए।
प्रणाम आसन - प्रणाम आसन के नाम से ही आप समझ चुके होंगे कि आपको प्रणाम की अवस्था में रहना है। इस दौरान आप जमीन पर लेट जाएं और इस अवस्था में अपनी सांस को रोकने एवं छोड़ने का क्रम कुछ समय के अंतराल पर करें। इससे आपकी सेहत को भरपूर लाभ होगा।
भुजंगासन - इस आसन में आपको प्रणाम आसन में ही रहते हुए सांस लेनी है और कमर से नाभि तक की जगह को जमीन के ऊपर उठाना है और हथेलियों को जमीन पर ही रखना है। इस प्रक्रिया को पांच बार करें और अपनी सांस के प्रवाह का ध्यान रखें ताकि आपको कोई परेशानी ना हो।