विराट कोहली वर्तमान समय में भारतीय टीम के कप्तान हैं और इस बात में कोई शक नहीं है कि उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने कई मैचों में जीत हासिल की हैं और दुनिया की सबसे मजबूत टीम बनकर सामने आई है। लेकिन सच ये भी है कि उनकी कप्तानी में भारतीय टीम दो बड़े आईसीसी टूर्नामेंट में हारकर बाहर भी हुई है। जबकि उन दोनों टूर्नामेंट में भारत के चैंपियन बनने की संभावना बहुत ही ज्यादा थी।
हालांकि कप्तान को हार के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है, क्योंकि टीम सभी खिलाड़ियों के बेहतरीन प्रदर्शन से जीतती है। हाल ही में संपन्न हुए आईसीसी क्रिकेट विश्वकप में भारतीय टीम ने शुरुआत तो बेहद लाजवाब तरीके से की थी लेकिन सेमीफाइनल में पहुंचकर अपनी सबसे बड़ी कमजोरी को अपने ऊपर हावी होने दिया।
भारतीय टीम की सबसे बड़ी कमजोरी है, मध्यक्रम की बल्लेबाजी, जो कि पिछले कई सालों से टीम के लिए परेशानी बनी हुई है। मध्यक्रम में कई बल्लेबाजों को चुना भी गया लेकिन एक या दो चुनिंदा खिलाड़ियों को छोड़कर बाकी यह जिम्मेदारी उठाने में विफल साबित हुए। यही हाल विश्वकप 2019 के पहले सेमीफाइनल में भारत और न्यूजीलैंड के बीच देखने को भी मिला।
भारतीय गेंदबाजों ने यह मैच पहले ही अपनी पकड़ में करके भारत को मजबूत स्थिति में ला दिया था लेकिन दुनिया की सबसे मजबूत बैटिंग लाइनअप वाली टीम इस बड़े मंच पर फ्लॉप साबित हो गई। जिसके बाद विराट कोहली की कप्तानी पर भी कई सवालिया निशान खड़े होने लगे, क्योंकि उन्होंने समय रहते मध्यक्रम को मजबूत करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए। जिसके बाद लोगों का यह कहना था कि क्रिकेट के सीमित प्रारूप की कप्तानी विराट कोहली से लेकर रोहित शर्मा को दे देनी चाहिए और यह इस फैसले का सही समय है।
आज हम आपको 3 मुख्य कारण बताने जा रहे हैं, कि क्यों वनडे और टी20 टीम की कप्तानी रोहित शर्मा को दे देनी चाहिए :
#1 खिलाड़ियों को वापसी करने का मौका देना
रोहित शर्मा ने अपनी कप्तानी के दौरान मुंबई इंडियंस को चार बार आईपीएल का खिताब दिलाया है। भले ही इसमें टीम का भी सहयोग रहा हो लेकिन उनकी नेतृत्व क्षमता से इनकार नहीं किया जा सकता है। रोहित शर्मा की इस सफलता का सबसे बड़ा कारण यह है कि अगर वह किसी युवा खिलाड़ी पर भरोसा करते हैं, तो वह उसे एक या दो बार असफल होने पर भी नहीं छोड़ते।
यही कारण है कि वह खिलाड़ी भी अपना सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने का प्रयास करता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है रोहित शर्मा द्वारा पिछले दो सीजन में दो लेग स्पिनर मयंक मार्कंडेय और राहुल चाहर को अपने साथ खिलाना। भले ही यह दोनों खिलाड़ी शुरुआत में थोड़ा महंगे साबित हुए हों लेकिन बाद में उन्होंने अपने प्रदर्शन से अपनी टीम को चैंपियन बनाने में अहम रोल अदा किया।
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#2 दबाव में भी शांत रहना
रोहित शर्मा की सबसे खास बात यह है कि वह दबाव की स्थिति में भी शांत रहना पसंद करते हैं, जैसा कि एक समय पर पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को देखा जाता था। जबकि विराट कोहली के साथ ऐसा नहीं है। डेथ ओवरों में गेंदबाजी करते समय कोहली को शायद ही गेंदबाजों के पास जाकर बात करते हुए देखा गया हो।
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ऐसे समय पर अक्सर ही महेंद्र सिंह धोनी को कार्यभार संभालते हुए देखा गया है। इसका परिणाम यह होता है कि गेंदबाज थोड़ा भ्रमित रहता है। जबकि रोहित शर्मा ने आईपीएल में या फिर भारत के जिन भी मैचों में कप्तानी की है, उसमें यह देखा गया है कि वह डेथ ओवरों में गेंदबाजों को उचित परामर्श देते रहते हैं और 30 गज के घेरे के अंदर ही खड़े रहना पसंद करते हैं। जिसका परिणाम है कि वह मुंबई इंडियंस की कप्तानी करते हुए अपनी टीम को 4 बार चैंपियन बना चुके हैं।
#3 विचारों और दृष्टिकोण में सफाई
पिछले कुछ वर्षों में यह देखा गया है कि विराट कोहली ने एक कप्तान के तौर पर संवाददाता सम्मेलनों को संबोधित करते हुए कहा कुछ और हो और मैदान पर किया कुछ और है। उन्होंने अंबाती रायडू को विश्वकप के दौरान नंबर 4 के विकल्प के रूप में खिलाने की बात कही लेकिन किया कुछ और। इसी तरह उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अजिंक्य रहाणे को नंबर 4 पर खिलाया था। जबकि उन्होंने सबके सामने उन्हें एक सलामी बल्लेबाज कहा था।
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कोहली को अपनी योजनाओं और निर्णयों को लेकर काफी भ्रमित देखा गया है, जबकि रोहित शर्मा एक ऐसे खिलाड़ी हैं, जो अपने निर्णयों से बिल्कुल भी पीछे नहीं हटते हैं। फिर वह बात आईपीएल में कप्तानी की हो या फिर कोहली की गैरमौजूदगी में भारतीय टीम की कप्तानी की। उन्होंने अक्सर अपनी कप्तानी में कहा है कि धोनी को ऊपरी क्रम में बल्लेबाजी करनी चाहिए और अपनी कप्तानी के दौरान उन्होंने इस बात को लागू भी किया है। यह दर्शाता है कि रोहित शर्मा सीमित प्रारूप के क्रिकेट में विराट कोहली से बेहतर कप्तान साबित हो सकते हैं।