NZ vs IND- 5 बड़े कारणों से भारत को न्यूजीलैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट में हार मिली

विराट कोहली

न्यूजीलैंड और भारत के बीच खेला गया दूसरी टेस्ट क्राइस्टचर्च में तीन दिनों के अंदर ही खत्म हो गया। मेजबान टीम ने भारत को 7 विकेट से करारी शिकस्त दी और सीरीज पर 2-0 से जीत हासिल की। इसी के साथ न्यूजीलैंड टीम को आईसीसी टेस्ट चैंपियनशिप में 120 महत्वपूर्ण अंक मिले, दूसरी तरफ भारत अभी भी पहले स्थान पर ही हैं।

भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 242 रन बनाए, जिसके जवाब में न्यूजीलैंड ने अपनी पहली पारी में 235 रन बनाए। दूसरी पारी में भारतीय पारी बुरी तरह लड़खड़ा गई और वो सिर्फ 124 रनों पर ऑलआउट हो गए, 132 के लक्ष्य को न्यूजीलैंड ने 3 विकेट खोकर हासिल कर लिया।

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न्यूजीलैंड के काइल जेमिनसन (5 विकेट और 49 रन) को शानदार प्रदर्शन करने के लिए प्लेयर ऑफ द मैच और टिम साउदी को प्लेयर ऑफ द सीरीज चुना गया।

अब हम भारत की करारी हार के कारणों पर नजर डालते हैं:

#) 194-4 से 242 पर ऑलआउट हो जाना

हनुमा विहारी आउट होने के बाद
हनुमा विहारी आउट होने के बाद

दूसरे टेस्ट के पहले दिन भारत को टॉस हारने के बाद पहले बल्लेबाजी करनी पड़ी और टीम की शुरुआत इतनी खास नहीं रही। हालांकि हनुमा विहारी और चेतेश्वर पुजारा ने टीम को संभालते हुए अर्धशतकीय पारी खेली। 194 के स्कोर पर टी से ठीक पहले विहारी खराब शॉट खेलकर 55 रन बनाकर आउट हो गए। चायकाल के बाद पुजारा भी 54 रन बनाकर खराब शॉट खेलकर आउट हो गए।

यहां से भारतीय पारी बुरी तरह लड़खड़ा गई और एक समय जो स्कोर 300 के पार जाते हुए दिख रहा था, भारतीय टीम सिर्फ 242 रन बनाकर ऑलआउट हो गई। पहली पारी में खराब बल्लेबाजी के कारण भारत को नुकसान हुआ और मजबूत स्थिति में पहुंचने से चूक गए।

#) न्यूजीलैंड के निचले क्रम को सस्ते में आउट नहीं कर पाना

काइल जेमिसन की उपयोगी पारी
काइल जेमिसन की उपयोगी पारी

काफी समय से भारतीय टीम की कमजोरी रही है कि वो विपक्षी टीम के निचले क्रम के बल्लेबाजों को आउट करने में नाकाम रहे हैं। पहले टेस्ट की तरह दूसरे टेस्ट में भी न्यूजीलैंड के निचले क्रम के बल्लेबाजों ने अपनी टीम को बचाया।

दूसरे दिन भारतीय गेंदबाजों ने शानदार गेंदबाजी करते हुए न्यूजीलैंड का स्कोर 153-7 कर दिया था। हालांकि आखिरी तीन विकेट के लिए न्यूजीलैंड ने 82 रन जोड़े और वो भारत के लक्ष्य के करीब पहुंच गए। इसमें काइल जेमिसन का योगदान अहम रहा। भारत अगर न्यूजीलैंड को 200 के अंदर रोक लेता, तो टीम की बढ़त सिर्फ 7 रनों की नहीं रहती। इसने बड़ा फर्क पैदा किया।

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#) दूसरी पारी में भारतीय बल्लेबाजों का खराब प्रदर्शन

चेतेश्वर पुजारा का विकेट लेने के बाद ट्रेंट बोल्ट

भारत को पहली पारी के आधार पर 7 रनों की बढ़त मिली थी, लेकिन दूसरी पारी में खराब बल्लेबाजी के कारण बल्लेबाजों ने गेंदबाजों के प्रदर्शन पर पानी फेर दिया। मयंक अग्रवाल, पृथ्वी शॉ, चेतेश्वर पुजारा, अजिंक्य रहाणे, विराट कोहली, हनुमा विहारी और ऋषभ पंत सभी बल्लेबाज पूरी तरह से नाकाम रहे।

इसी वजह से भारत बड़ा स्कोर बनाने से चूक गया और अंत में सिर्फ 124 रनों पर ही ऑलआउट हो गए। न्यूजीलैंड को जीतने के लिए 132 रनों का लक्ष्य मिला, जिसे उन्होंने आसानी से हासिल कर लिया। दूसरी पारी में बल्लेबाज अपनी गलती से सीखकर अच्छा करते, तो न्यूजीलैंड को इतना आसान लक्ष्य नहीं मिलता पीछा करने के लिए।

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#) दूसरी पारी में शुरुआती झटके देने में नाकाम रहे भारतीय गेंदबाज

भारतीय क्रिकेट टीम
भारतीय क्रिकेट टीम

132 रनों को डिफेंड करना बिल्कुल भी आसान नहीं होता और इसके लिए शुरुआती झटके देने की जरूरत थी। हालांकि भारतीय गेंदबाज यह करने में नाकाम रहे। जसप्रीत बुमराह ने एक छोर से दबाव बनाया, लेकिन उमेश यादव अपने पहले स्पैल में लय में नजर नहीं आए। इसके अलावा मोहम्मद शमी भी चोटिल होने के कारण ज्यादा गेंदबाजी नहीं कर पाए।

न्यूजीलैंड के सलामी बल्लेबाजों ने पहले विकेट के लिए 103 रनों की साझेदारी करते हुए भारत को मैच से दूर कर दिया था। भारत ने इसके बाद तीन विकेट जरूर लिए, लेकिन तबतक काफी देर हो चुकी थी और अंत में न्यूजीलैंड ने आसान जीत दर्ज की।

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#) विराट कोहली का पूरी तरह फ्लॉप होना

 कोहली ने किया निराश
कोहली ने किया निराश

भारतीय टीम के सफल होने के लिए टीम के कप्तान विराट कोहली का अच्छा करना काफी जरूरी होता। हालांकि न्यूजीलैंड दौरा कोहली के करियर के लिए बिल्कुल भी यादगार नहीं रहा और उन्होंने बल्ले के साथ पूरी तरह निराश किया।

कोहली ने दोनों टेस्ट मैचों की 4 पारियों में सिर्फ 38 रन बनाए और दूसरे टेस्ट में तो वो सिर्फ 3&14 रन ही बना पाए। टीम का सबसे प्रमुख बल्लेबाज नहीं चलता, तो उसका टीम के ऊपर देखने को मिलता है। भारतीय टीम के साथ वैसा ही हुआ, कोहली के फ्लॉप होने के बाद कोई भी बल्लेबाज जिम्मेदारी नहीं उठा पाया और टीम को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा।

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Edited by मयंक मेहता
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