ऑब्सेसिव कम्पलसिव डिसऑर्डर क्या है और इसको नजरअंदाज ना करें

ऑब्सेसिव कम्पलसिव डिसऑर्डर
ऑब्सेसिव कम्पलसिव डिसऑर्डर

(नोट: यह ऑब्सेसिव कम्पलसिव डिसऑर्डर के बारे में लेखक के द्वारा सुझाए गए तरीके हैं जो कारगर हैं लेकिन ये डॉक्टरी परामर्श का स्थान नहीं ले सकते हैं। यदि आप ऑब्सेसिव कम्पलसिव डिसऑर्डर से ग्रसित हैं या ऐसे लक्षण हैं तो तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें)

ऑब्सेसिव कम्पलसिव डिसऑर्डर एक मानसिक बीमारी है जिसका इलाज सिर्फ एक डॉक्टर ही कर सकता है। इस बात का ध्यान रखें कि ऐसे कई लोग होते हैं जिन्हें किसी एक घटना से जुड़ाव होता है और वो उसकी वजह से परेशान रहते हैं। इसमें वो कम्पलसिव महसूस करते हैं जिसका सीधा अर्थ है कि वो एक ही ख्याल को बार बार सोचते हैं और इस सोच पर उनका कोई कंट्रोल नहीं होता है। इस स्थिति में इंसान कम्पलसिव महसूस करता है जिसका अर्थ है कि वो सोच उन्हें परेशान करती है और इस स्थिति में इंसान किसी भी उम्र में पहुँच सकता है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ उम्रदराज ही इस परेशानी से दो चार होते हैं क्योंकि ये परेशानी किसी भी उम्र में हो सकती है।

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यदि आपको ऐसा कम्पलसिव डिसऑर्डर वाला कोई इंसान मिलता है या आपको ऐसा लगता है कि आपमें भी ऐसे लक्षण हैं तो इसको छुपाने का प्रयास बिल्कुल ना करें। इस बात का ध्यान रखें कि मानसिक बीमारी किसी को भी कभी भी हो सकती है। मानसिक बीमारियों को अमूमन बड़ी बुरी नजर से देखा जाता है लेकिन ये बात समझनी जरूरी है कि दिमाग भी आपके शरीर का एक हिस्सा है और जिस तरह से शरीर के किसी भी अंग में बीमारी हो सकती है उसी तरह दिमाग में भी परेशानी हो सकती है।

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ऑब्सेसिव कम्पलसिव डिसऑर्डर से बचाव के लिए क्या करें

यदि आपको किसी भी चीज को बार बार चेक करने, या फिर किसी भी तरह के खराब ख्याल आ रहे हैं तो ये ऑब्सेसिव कम्पलसिव डिसऑर्डर हो सकता है। चिंता करना या लगातार चिंता करना भी इसका एक लक्षण है जो आपके प्रतिदिन के कार्यों में एक बाधा पहुँचा सकता है। इससे बचने के लिए आप एक मनोचिकित्स्क की मदद ले सकते हैं। इस ऑब्सेसिव कम्पलसिव डिसऑर्डर को ठीक करने के लिए आप साइकोथेरेपी, और दवाई का सहारा ले सकते हैं।

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यहाँ ये भी ध्यान रखना जरूरी है कि योग करना इस परेशानी से आराम दिला सकता है। कुंडलिनी योग को ऑब्सेसिव कम्पलसिव डिसऑर्डर को ठीक करने में कारगर पाया गया है। अगर आप खुद को व्यस्त और दिमाग में सिर्फ अच्छे ख्याल लाएंगे तो आपको किसी भी तरह की परेशानी नहीं होगी। ये जरूरी है कि आप अपने मन की बात को साझा कर दें ताकि आपके मन पर कोई बुरा प्रभाव या दबाव महसूस ना हो।

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Edited by Amit Shukla